Wednesday, 23 July 2014

~ तलाश ~


होआ ने आदम बनाया,
आदमी ने घोड़े को नचाया |
घोड़े ने बूढी लगाई,
अादमी से सेवा करवाई |

बोझ ढोने को अभिशप्त हो गया |
इंन्सान ने दिमाग लगाया -
इंन्सान से शैतान बन गया |
किसी और ने

बुद्धि का सदुपयोग किया,
परोपकारी महात्मा बन गया |

मूर्ख को कौन समझाए ?
या कोरे कागज़ पे
पाती लिखी जाए ?
जिसकी जो तलाश
मानव सदा वही पाए |

मनवीणा के बोल....

Tuesday, 15 July 2014

~ भ्रष्टाचार ~

~ भ्रष्टाचार ~

कौन मुझे मिटा पाया है ?
में विस्तृत एवं विशाल हूँ !
में ही महाकाल हूँ !

सूरज आया , चाँद गया ,
तारे टिमटिमाकर बुझ गए
क्या वे मुझे मिटा पाए ?
हाँ,
सूरज ने चाँद को खाया,
चाँद ने तारो को मिटाया,
कितने आए, चले गए -
कोशिश में मुझे मिटने की ,
खुद-ब-खुद मिट गए !
में आज भी वैसे ही बरकरार हूँ

कुछ समझे ,
में ही तो भ्रष्टाचार हूँ

मनवीणा के बोल....

Thursday, 10 July 2014

~ इंसान ~

इंसान ...
इंसान हो यारो
इंसानियत सीखो |

कुत्ते - बिल्ली बनना है आसान ,
बड़ा कठिन है बनना इंसान |

हवा से सीखो होना गतिमान ,
पृथ्वी से सहनशीलता,
और आकाश से विशालता ,
माँ से ममता ,
और पिता से
कर्तव्य परायणता |

तू है परम पिता की संतान
तो बनकर दिखाओ इंसान |

मनवीणा के बोल....